1971 से भी बड़ा क्यों माना जा रहा है पाकिस्तान के खिलाफ भारत का ऑपरेशन सिंदूर? समझिए

जब भारत सो रहा था, तब भारतीय सेना एक ऐसा मिशन अंजाम दे रही थी, जिसकी गूंज सरहद पार पाकिस्तान के पंजाब तक सुनाई दी. जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान जाने के बाद भारतीय सेना ने बुधवार देर रात ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के नौ आतंकी ठिकानों पर जोरदार हमला किया.
ये नाम उन महिलाओं को समर्पित है, जिनके पतियों की पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकियों ने हत्या कर दी थी. अब तक मिली जानकारी के मुताबिक इसमें 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए हैं. वहीं जानकार इसे 1971 की जंग और बालाकोट एयरस्ट्राइक से भी बड़ा पलटवार बता रहे हैं. ऐसा क्यों, आइए जानते हैं.
बालाकोट और उरी से कैसे अलग है ये हमला?
2016 की उरी सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 के बालाकोट एयरस्ट्राइक अब तक भारत के सबसे बड़े जवाब माने जाते थे. लेकिन ऑपरेशन सिंदूर इन दोनों से कहीं ज्यादा गहराई तक गया है. इस बार भारतीय सेना ने पाकिस्तान के उन हिस्सों को निशाना बनाया जो अब तक नो-गो ज़ोन माने जाते थे. बालाकोट स्ट्राइक केवल एक ही ठिकाने तक सीमित थी, और उरी के बाद की कार्रवाई भी सीमित थी, लेकिन इस बार एक नहीं, पूरे नौ ठिकाने एक साथ निशाना बने.
ऑपरेशन सिंदूर: अब तक की सबसे गहरी चोट?
CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, ये भारत की अब तक की सबसे गहरी कार्रवाई है जो पाकिस्तान की अनडिस्प्यूटेड टेरिटरी तक पहुंची है यानी वो हिस्सा जो पाकिस्तान का माने जाने में विवादित नहीं है. पहली बार भारत ने न सिर्फ़ PoK, बल्कि पाकिस्तान के मुख्य प्रांत पंजाब तक मिसाइलें पहुंचाई हैं और वो भी बिना सीमा पार किए जमीनी लड़ाई के.
कहां-कहां गिरे भारत के प्रिसिशन मिसाइल?
जानकारी के मुताबिक, ये हमले हाई-प्रिसिशन मिसाइल स्ट्राइक थे. जिन जगहों को निशाना बनाया गया उनमें बहावलपुर, मुरिदके, सियालकोट (पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में) और मुझफ्फराबाद व कोटली (PoK में) शामिल हैं. बहावलपुर जैश-ए-मोहम्मद का गढ़ माना जाता है, जो भारत से 250-300 किमी दूर. वहीं मुरिदके लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय है, केवल 40-50 किमी दूर है, सियालकोट भारत से महज़ 10-20 किमी दूर है तो वहीं चाक अमरू बिल्कुल सरहद के पास, महज़ 5-10 किमी.
1971 की जंग से तुलना क्यों हो रही है?
1971 की जंग में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के वेस्टर्न बॉर्डर के अंदर तक घुसपैठ की थी, खासकर सिंध, पंजाब और राजस्थान सेक्टरों में. सिंध में भारत ने 40-50 किमी तक अंदर जाकर खोकरापार जैसे कस्बे पर कब्ज़ा किया था. पंजाब में लाहौर और सियालकोट के पास के इलाके फतेह किए गए थे. हालांकि 1971 की कार्रवाई जमीन पर कब्जे और रणनीतिक बढ़त के लिए थी, जबकि ऑपरेशन सिंदूर एक सटीक और सीमित जवाबी हमला है, जो आतंक के खिलाफ है, न कि जमीन कब्जाने के लिए.