छत्तीसगढ़

5 साल में 45 फर्जी टेंडर निकाल DMF के 18 करोड़ की राशि का बंदरबाट करने वाले दोनों तत्कालीन सहायक आयुक्त रायपुर से गिरफ्तार

जानें इन विकास कार्यों के नाम पर शासन से की दगाबाजी ….

 

दंतेवाड़ा।    छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले से बड़ी खबर सामने आ रही है । यहाँ आदिवासी विकास विभाग में पिछले 5 साल में DMF से विकास कार्यों के नाम पर फर्जी विज्ञापन के जरिए 45 फर्जी टेंडर लगाने वाले तत्कालीन सहायक आयुक्त आनंद .जी .सिंह एवं सेवानिवृत्त सहायक आयुक्त के .एस .मसराम FIR के बाद रविवार रात को ही गिरफ्तार कर लिए गए हैं।

आंनद जी सिंह की जगलपुर एवं के.एस. मसराम की रायपुर से गिरफ्तारी हुई है। जबकि विभागीय लिपिक संजय कोडोपी FIR के बाद से फरार है । जिसकी तलाश में पुलिस जुटी हुई है। छत्तीसगढ़ गठन के बाद यह पहला मामला है जिसमें किसी भी विभाग के 2 पूर्व सहायक आयुक्तों की गिरफ्तारी हुई है। इस कार्रवाई से महकमे में हड़कम्प मच गया है।

इस घोटाले के तार साल 2021 से अब तक के 45 फर्जी टेंडरों से जुड़े हुए हैं, जिन्हें ठेकेदारों से मिलीभगत कर गोपनीय तरीके से जारी किया गया था। एक प्रिंटिंग प्रेस में अखबारों के नाम से हूबहू फर्जी विज्ञापन प्रकाशित कर, टेंडर जारी कर चहेते फर्मों को कार्य आबंटित कर विकास कार्यों के नाम पर DMF के राशि की बंदरबाट की गई थी। जानकारी के मुताबिक, डॉ. आनंदजी सिंह की गिरफ्तारी जगदलपुर से और केएस मसराम की रायपुर से हुई है। दोनों अधिकारी दंतेवाड़ा में आदिवासी विकास विभाग में कार्यरत रह चुके हैं।

18 करोड़ 63 लाख के कार्यों का निकाला फर्जी टेंडर ,प्रिटिंग प्रेस में फर्जी विज्ञापन छपवाकर असली बताकर पेश किया ,इन कार्यों के नाम पर किया फर्जीवाड़ा

कारनामे ।। नीचे पढे 

इस गंभीर प्रकरण के संदर्भ में जानकारी देते अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आरके बर्मन ने बताया कि 21 अगस्त को थाना कोतवाली में मामला दर्ज कराया गया कि आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग के विभिन्न योजना/मद अन्तर्गत के तहत स्वीकृत भवन निर्माण के कार्यों के लिए सहायक आयुक्त आदिवासी के द्वारा विगत 05 वर्षों में वर्ष 2021-22 से 2025-26 में विभाग अन्तर्गत जिले के विभिन्न योजना/मद अन्तर्गत स्वीकृत निर्माण कार्यों के लिए नियम अनुसार किसी भी समाचार पत्रों में विज्ञप्ति का प्रकाशन नहीं किया गया और न हीं इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाईन निविदा निकाला गया।

इन कार्यों में फर्जी तरीके से समाचार पत्र का फोटकॉपी ए-4 साईज पेपर हूबहू लगाया गया। इन कार्यो में मुक्तिधाम निर्माण कार्य भाग 1 से भाग 11 तक जिसकी राशि 280.52 लाख रूपये को डॉक्टर आनंदजी सिंह तत्कालीन सहायक आयुक्त आदिवासी विकास 2, सर्व आदिवासी भवन प्रथम तल का निर्माण कार्य जिसकी राशि 48.32 लाख रूपये 3, माता रूकमणी आवासीय प्राथमिक विद्यालय दन्तेवाड़ा के 30 बिस्तरीय कन्या छात्रावास भवन निर्माण कार्य जिसकी राशि 89.79 लाख रूपये 4, एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय कुआकोण्डा में शेड निर्माण कार्य जिसकी राशि 11.30 लाख रूपये 5, 100 सीटर कन्या आश्रम गाटम का भवन निर्माण कार्य जिसकी राशि 212.00 लाख रूपये 6, 100 सीटर आदर्श बालक छात्रावास बालूद का नवीन अतिरिक्त कक्ष भवन निर्माण जिसकी राशि 288.59 लाख रूपये करीब 930.52 लाख रूपये केएस मसराम सहायक आयुक्त आदिवासी विकास दन्तेवाड़ा इस जालसाजी फर्जीवाड़े में आनंदजी सिंह तत्कालीन सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास दंतेवाड़ा जिसमे 13 मार्च 2021 से 11 जून 2024 के एस मसराम, तत्कालीन सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास दंतेवाड़ा जून 2024 से 30 अप्रैल 2025 संजय कोड़ोपी सहायक ग्रेड-02 शाखा लिपिक ने 2018 से अबतक द्वारा लोक सेवक के पद पर रहते हुए अपने अपने पदो का दूरूपयोग करते हुए अपने चहेते ठेकेदारो को लाभ दिलाने हेतु टेंडर के नियमो का पालन न करते हुए टेंडर के बारे में दैनिक समाचार पत्रो में प्रकाशित किये जाने वाले विज्ञापन न छपवाकर फर्जी प्रकाशन दस्तावेजों को असली दस्तावेज बताकर पेश किया गया, मामले का खुलासा होने के बाद इन तीनो के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। जहां दो की गिरफ्तारी हुई है, वहीं क्लर्क फरार है।

कलेक्टर की जांच से उजागर हुआ मामला

मामले की शिकायत मिलने पर कलेक्टर कुणाल दुदावत ने जांच के आदेश दिए थे। जांच में पाया गया कि सालों से विभाग में नियमों को दरकिनार कर चहेते ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए फर्जी निविदाएं तैयार की जा रही थीं। यह पूरा खेल बिना किसी सार्वजनिक सूचना या प्रक्रिया के, फाइलों की एडिटिंग और रिकॉर्ड में हेरफेर के जरिए किया गया।

FIR दर्ज

मामले में वर्तमान सहायक आयुक्त राजू कुमार नाग ने दंतेवाड़ा सिटी कोतवाली में लिखित शिकायत दी, जिस पर पुलिस ने धारा 318(4), 338, 336(3), 340(2) और 61(2) के तहत एफआईआर दर्ज कर ली है। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए दोनों पूर्व अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया है, वहीं फरार बाबू की तलाश की जा रही है।

अब तक 45 फर्जी टेंडर उजागर, और हो सकते हैं खुलासे

जांच में विकास कार्यों के लिए जारी 45 टेंडरों में गड़बड़ी पाई गई है। बताया जा रहा है कि अभी भी कई निर्माण कार्यों की फाइलों की जांच की जा रही है और इसमें और भी अफसरों और ठेकेदारों की भूमिका सामने आ सकती है। पुलिस और प्रशासन, इस घोटाले में ठेकेदारों की संलिप्तता की भी जांच कर रहे हैं।

सामाग्री खरीदी के कार्य की भी जांच की दरकार ,PMO से हुई शिकायत में चल रही जांच ,रुक गई है पेंशन

 

30 अप्रैल 2025 को सेवानिवृत्त हुए पूर्व सहायक आयुक्त कल्याण

सिंह मसराम के खिलाफ पिछले 3 वित्तीय वर्षों में 19 करोड़ के शासकीय धनराशि के बंदरबाट की शिकायतें है ।
वित्तीय वर्ष 2024 -25 में विभागीय आश्रम छात्रावासों के लिए सामाग्री पूर्ति मद में 54 लाख रुपए के विभागीय फंड का राज्य भंडार क्रय नियमों सहित कलेक्टर /जिला प्रशासन को धोखे में रखकर बंदरबाट करने ,दंतेवाड़ा एवं बीजापुर जिले में पदस्थापना के दौरान संविधान के अनुच्छेद 275 (1) मद अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2022 -23 में तत्कालीन सहायक आयुक्त कल्याण सिंह मसराम द्वारा आदिम जाति विकास तथा अनुसूचित जाति विकास छत्तीसगढ़ शासन ,रायपुर से विभागीय छात्रावास ,आश्रमों में सामग्री पूर्ति मदान्तर्गत वर्ष 2024 -25 के प्राप्त आबंटन 54 लाख 45 की राशि का क्रय प्रक्रियाओं का पालन किए बगैर बिना सामाग्री क्रय किए कोषालय से कूटरचित ,प्रशासकीय स्वीकृति आदेश,देयक व्हाउचर प्रस्तुत कर आहरण कर शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाए जाने की गंभीर शिकायते हैं ।

वित्तीय 2024-25 में जिला खनिज संस्थान न्यास की 3 करोड़ 14 लाख की राशि का बंदरबाट करने एवं बीजापुर पदस्थापना के दौरान जिला खनिज संस्थान न्यास ( डीएमएफ ) से वित्तीय वर्ष 2021 -22 एवं 2022 -23 में विभिन्न 13 स्तर के कार्यों के लिए प्राप्त आबंटन 10 करोड़ 40 लाख रुपए से अधिक की धनराशि में राज्य भंडार क्रय नियमों के विपरीत सामाग्री /उपकरण क्रय करने की शिकायतें हैं। तीनों मामले में विभागीय जांच संस्थित कर कार्यवाही किए जाने प्रमुख सचिव आदिम जाति तथा अनुसचित जाति विकास मंत्रालय महानदी भवन ,नवा रायपुर(छ.ग.)को दस्तावेजी शिकायत के बावजूद महज जांच आदेश निकाल औपचारिकता पूर्ण कर संरक्षण प्रदान किए जाने के मामले में छत्तीसगढ़ शासन को आवश्यक कार्रवाई करने निर्देशित करने जांचकर्ता अधिकारी द्वारा आरोपी अधिकारी को संरक्षण प्रदान किए जाने के मामले में पीएमओ तक शिकायत की गई है।

 

जिसकी जांच प्रक्रियाधीन है। इस बीच विश्वस्त सूत्रों से खबर आई है विभागीय जांच संस्थित होने एवं पीएमओ तक की गई शिकायत के बाद सहमे विभाग ने कल्याण सिंह मसराम का पेंशन पर रोक लगा दी है। अब उनकी गिरफ्तारी के बाद जांच में और तेजी आएगी। चारों एकलव्य समेत आश्रम छात्रावाओं में प्रदाय किए गए समाग्रियों ,क्रय किए गए सामाग्रियों के लिए राज्य भंडार क्रय नियमों का पालन सुनश्चित किया गया है या नहीं इसकी सूक्ष्मता से जांच की दरकार है। निसंदेह दोनों जिलों में इसकी जांच हुई तो बड़े घोटाले सामने आएंगे।

क्या था घोटाले का तरीका?

टेंडर प्रक्रिया को गोपनीय रखा जाता था

नियमानुसार निविदा का प्रकाशन और संवाद नहीं किया जाता

पसंदीदा ठेकेदारों को ठेका देने के लिए फाइलों में हेरफेर

विकास कार्यों को कागजों पर दर्शाकर बजट की हेराफेरी

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