छत्तीसगढ़

चौथे दिन खेत में मिला लापता ग्रामीण का शव, अब तक छह की मौत, एक अब भी लापता

बलरामपुर। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में साड़सा लुत्ती बांध टूटने की त्रासदी थमने का नाम नहीं ले रही। मंगलवार की रात हुए हादसे के चार दिन बाद शनिवार को एक और शव मिलने से मृतकों की संख्या बढ़कर छह हो गई है, जबकि एक बच्ची का अब तक कोई पता नहीं चला है। इस हादसे ने पूरे इलाके को गहरे सदमे में डाल दिया है।

कैसे हुआ हादसा मंगलवार की रात करीब 11 बजे धनेशपुर क्षेत्र में साड़सा लुत्ती बांध का मेड़ अचानक टूट गया। देखते ही देखते आसपास का इलाका तेज बहाव वाली बाढ़ की चपेट में आ गया। इस दौरान चार घर पूरी तरह से जलमग्न हो गए। ग्रामीणों ने चीख-पुकार के बीच जान बचाने की कोशिश की, लेकिन कई लोग पानी की तेज धारा में बह गए।

मारे गए लोग और पहचान इस हादसे में अब तक छह लोगों की मौत हो चुकी है। रामवृक्ष खैरबार की पत्नी बतशिया (61 वर्ष) बहू चिंता (35 वर्ष), पति सजिवन बहू रजंती (28 वर्ष), पति गणेश खैरवार पोता कार्तिक (6 वर्ष) पोती प्रिया (9 वर्ष) इन सभी के शव घटना के बाद बरामद कर लिए गए थे और शुक्रवार को उनका एक साथ अंतिम संस्कार किया गया। इसके अलावा शनिवार को लापता ग्रामीण जितन खैरवार (52 वर्ष) का शव खेत में पड़ा मिला।

चौथे दिन मिला शव

घटना की रात से लापता जितन खैरवार की तलाश जारी थी। शनिवार को बांध का पानी कम होने पर ग्रामीणों ने पास के खेत में उसका शव देखा और पुलिस को सूचना दी। शव घर से करीब एक किलोमीटर दूर धान के खेत में पड़ा मिला। तातापानी चौकी पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया।

अब भी लापता है तीन साल की बच्ची हादसे में मृतका रजंती की बेटी वंदना सिंह (3 वर्ष) का अब तक कोई पता नहीं चल सका है। ग्रामीण और पुलिस उसकी तलाश कर रहे हैं, लेकिन नदी-नालों और खेतों में फैले पानी के कारण खोजबीन मुश्किल हो रही है।

बचे और क्षति हादसे में रामवृक्ष खैरबार खुद तैरकर किसी तरह जान बचाने में सफल रहा। जितन खैरवार का बेटा भी उस रात बह गया था, लेकिन तैरकर बाहर निकल आया। बाढ़ में जितन खैरवार की 40 से अधिक बकरियां बह गईं। ग्रामीणों का दर्द ग्रामीणों का कहना है कि अगर बांध की मरम्मत और निगरानी समय पर की गई होती तो यह दर्दनाक हादसा नहीं होता। उनका आरोप है कि अधिकारियों की लापरवाही के चलते निर्दोष परिवारों की जिंदगी उजड़ गई। गांव में मातम का माहौल है। जिन परिवारों के सदस्य बह गए, उनके घरों में चूल्हा तक नहीं जला।

प्रशासन और पुलिस की कार्रवाई पुलिस ने अब तक मिले शवों का पोस्टमॉर्टम कराया है। जिला प्रशासन की ओर से राहत और खोजबीन अभियान लगातार चलाया जा रहा है। SDRF और पुलिस की टीमें लापता बच्ची की तलाश में जुटी हुई हैं। प्रशासन ने प्रभावित परिवारों को हर संभव मदद का भरोसा दिलाया है। लोगों में आक्रोश और सवाल यह हादसा अब बांधों की सुरक्षा और रखरखाव को लेकर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है। आखिर बांध की मजबूती और निरीक्षण क्यों नहीं किया गया?

बारिश के मौसम में बांध की स्थिति पर समय रहते ध्यान क्यों नहीं दिया गया? ग्रामीणों का कहना है कि हादसे की जांच कर जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। सात दिन का मातम और अनिश्चितता धनेशपुर क्षेत्र में यह हादसा इतना बड़ा था कि गांव के अधिकांश लोग अब भी सदमे में हैं। एक ही परिवार के कई सदस्यों की मौत ने इलाके को झकझोर दिया है। लोग अब भी तीन साल की वंदना के सुरक्षित मिलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।

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