छत्तीसगढ़

भाई-बहन को उम्रकैद,मधुसूदन का सिर दीवार पर मारा,फिर फंदे में लटका दिया था

कोरबा। अपनी दीदी और जीजा के बीच आये दिन होने वाले वाद विवाद से क्षुब्ध होकर जीजा को ही रास्ते से हटाने का काम दीदी के साथ मिलकर साले ने कर दिया। इसके बाद हत्या को आत्महत्या का रूप देने और यही प्रचारित करने का काम भाई-बहन ने मिलकर किया।

 

आत्महत्या बताए जाने वाले इस मामले में न्यायाधीश ने हत्या और साक्ष्य छिपाने का दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा से दोनों को दंडित किया है। राज्य शासन की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक कृष्ण कुमार द्विवेदी ने मजबूत पैरवी की। सूचक राजकुमार चौहान के द्वारा 18 जून 2024 को मधुसूदन हंसराज की मृत्यु के संबंध में पुलिस चौकी रजगामार सूचना दी थी।

पुलिस को बताया था कि मधुसूदन हंसराज अपनी पत्नी एवं बच्चों के साथ अपने ससुराल शांतिनगर रजगामार में रहकर मजदूरी कर जीवन यापन करता था व शराब पीने का आदी था। 17 जून 2024 की रात्रि मधुसूदन हंसराज शराब पिया हुआ था। रात्रि करीब 10-11 बजे मधुसूदन हंसराज का पत्नी के साथ वाद-विवाद हुआ। उसके बाद मधुसूदन हंसराज अपने कमरे से निकल गया और बाहर का दरवाजा बंद कर आंगन के पास नहानी रुम के सामने नायलोन रस्सी से म्यार में फांसी लगाकर लटक गया।

 

उक्त जानकारी होते ही मधुसूदन की पत्नी सरस्वती ने पड़ोसी सूचक को बात बतायी। सूचक राजकुमार चौहान अपनी पत्नी के साथ सरस्वती के घर गया और सरस्वती के बताये स्थान पर वे तीनों जाकर देखे, तो मधुसूदन बाथरुम में फांसी के फंदे पर लटक रहा था। तुरंत डॉयल 112 को सूचित किया गया।

सूचना प्राप्त होते ही डॉयल 112 से संबंधित आरक्षक एवं ड्रायवर मौके पर आये। उनके आने पर मधुसूदन को बचाने के लिये फांसी के रस्सी को उपर से काटने पर मधुसूदन गिर गया और उसकी मृत्यु हो गयी। प्रकरण में मर्ग कायम कर विवेचना के दौरान पूछताछ से यह तथ्य ज्ञात हुआ कि मधुसूदन हंसराज के द्वारा अपनी पत्नी के चरित्र पर शंका किया जाता था और उक्त कारण से उन दोनों में आपस में विवाद होता था। राजकुमार चौहान, मृतक मधुसूदन हंसराज की पत्नी का भाई अर्थात साला है,

जो मधुसूदन हंसराज एवं सरस्वती के मध्य होने वाले विवाद से तंग आ चुका था। उक्त कारण से अभियुक्तगण सरस्वती एवं राजकुमार चौहान के द्वारा आशयपूर्वक मधुसूदन हंसराज की मृत्यु के आशय से मधुसूदन के सिर एवं बाल को पकड़कर दीवाल में ठोकर मारकर उसकी हत्या कर दिये और साक्ष्य छिपाने के उद्देश्य से उसकी हत्या को आत्महत्या के रूप में परिणित करने आंगन के बाथरुम के म्यार में नॉयलोन रस्सी के फंदे से उसे लटका दिये।

 

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी सिर में चोट से मौत की पुष्टि हुई। उक्त आधारों पर अभियुक्तगण सरस्वती हंसराज एवं राजकुमार चौहान को अभिरक्षा में लिया जाकर जेल दाखिल कराया गया। पुलिस ने विवेचना पूर्ण कर प्रकरण को विचारण हेतु न्यायालय में प्रस्तुत किया।

न्यायालय तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश,पीठासीन न्यायाधीश सुनील कुमार नन्दे ने सभी तथ्यों पर विचारण कर आरोपियों को दोषी पाया। अतिरिक्त लोक अभियोजक कृष्ण कुमार द्विवेदी ने इन्हें कठोर सजा देने पक्ष रखा। न्यायाधीश ने सिद्धदोषी सरस्वती हंसराज एवं राजकुमार चौहान को धारा 302, 34 में आजीवन कारावास एवं 100-100/- रूपये अर्थदण्ड तथा धारा 201,34 भादवि में 03-03 वर्ष का कारावास व 100- 100/- रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया है। अर्थदण्ड जमा न करने पर दोनों सजा में एक-एक माह के अतिरिक्त कारावास की सजा पृथक से भुगतायी जायेगी। सभी सजाएँ साथ-साथ चलेंगी।

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