माड़ डिवीजन में नक्सलियों का बड़ा ऐलान: 15 अक्टूबर तक हथियार डालने की घोषणा

सरकार से ऑपरेशन रोकने की अपील
बीजापुर । छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियानों के बीच माड़ डिवीजन से एक बड़ा बयान आया है। माओवादी संगठन ने प्रेस नोट जारी कर कहा है कि वह 15 अक्टूबर तक माड़ डिवीजन में अपना सशस्त्र संघर्ष त्यागकर हथियार डालने का ऐलान कर रहे हैं। समूह ने इस निर्णय का नेतृत्व अपने पोलिट ब्यूरो सदस्य कामरेड सोनू के नाम से बताया और दावा किया कि डिविजनल कमेटी एवं कई विभागीय साथी इस फैसले का समर्थन कर रहे हैं।
प्रेस नोट में नक्सलियों ने स्वीकार किया है कि गत वर्षों में उनके आंदोलन को कई झटके लगे हैं — बड़े कैडर के मारे जाने, सक्रियता में कमी और जनता की भागीदारी घटने के कारण उनकी “कोलिशन” व रणनीति विफल रही।
उन्होंने लिखा कि बदलती परिस्थितियों के अनुरूप क्रांतिकारी आंदोलन में आवश्यक बदलाव करने में उनकी सेंट्रल कमेटी विफल रही, इसलिए अब जनता के बीच काम करने और विनम्र तरीके से संगठन बदलने का फैसला लिया गया है।
समूह ने साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों से अपील की है कि माड़ डिवीजन में उनके इस निर्णय को समझाने तथा शांति-प्रक्रिया को पूरा करने के लिए एक निश्चित अवधि तक पुलिस गस्त और सैन्य अभियानों को अस्थायी रूप से स्थगित रखा जाए। उन्होंने दावा किया है कि वे 15 अक्टूबर से पहले डिविजन में मौजूद सभी हथियार समर्पित कर देंगे और उस क्षेत्र में “कोई गैर-कानूनी गतिविधि” नहीं रहेगी।
नोट में यह भी कहा गया कि अप्रैल–मई में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा की गई शांति वार्ता की पहल का वे समर्थन करते रहे और सशस्त्र संघर्ष छोड़ने के विकल्प पर भी सहमति जता चुके हैं।
यह घोषणा नक्सलियों के हालिया नरम रुख का संकेत लगती है — पिछले कुछ महीनों में सुरक्षा बलों की कार्रवाई के चलते कई बड़े कमांडर ढेर हुए और कुछ का सरेंडर भी हुआ है। हालांकि, इन दावों की सत्यता और समर्पण की प्रक्रिया के वास्तविक मायने की पुष्टि के लिए आधिकारिक बयान और स्वतंत्र सत्यापन आवश्यक है।
इस प्रेस नोट के बाद राज्य और केन्द्र की सुरक्षा एजेंसियों के पदाधिकारी टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हुए हैं और न ही अभी तक किसी तरह का औपचारिक सकारात्मक उत्तर सामने आया है।
जिले एवं राज्य प्रशासन से इस बारे में स्पष्टीकरण आना बाकी है कि क्या वे नक्सल समूह की शर्तों के अनुरूप सुरक्षा अभियान अस्थायी रूप से रोकेंगे और समर्पण-शांति प्रक्रिया को किस रूप में अमल में लाया जाएगा।
स्थानीय स्तर पर यह घोषणा नागरिकों और सुरक्षा विशेषज्ञों में मिश्रित प्रतिक्रियाएँ पैदा कर सकती है — कुछ इसे शांति की दिशा में सकारात्मक कदम मानेंगे, तो कुछ इसके पीछे नक्सल संगठन की रणनीति और पुनर्गठन की आशंका भी व्यक्त कर सकते हैं। आगामी दिनों में केंद्र-राज्य की आधिकारिक प्रतिक्रिया और जमीन पर वास्तविक घटनाक्रम इस खबर की दिशा तय करेंगे।