मुड़ापार बायपास पर डस्ट का डेरा, धूल के गुबार से बच रहे राहगीर

सुनालिया पुल पर बढ़ रहा ट्रैफिक दबाव, प्रशासन की अनदेखी से नहीं हो पा रहा समाधान
कोरबा शहर से इमलीडुग्गू चौक तक वाहनों की आवाजाही के लिए तैयार किया गया मुड़ापार बायपास इन दिनों डस्ट से पट गया है। मानिकपुर रेलवे फाटक से लेकर स्टेशन के सेकंड एंट्री के आगे कोल साइडिंग मोड़ तक सड़क पर धूल की मोटी परत जम चुकी है।
भारी वाहन गुजरते ही पूरा मार्ग धूल के गुबार में डूब जाता है, जिससे आम राहगीरों का गुजरना मुश्किल हो गया है।
धूल की इस समस्या के कारण शहरवासी अब इस मार्ग से दूरी बनाए हुए हैं। घंटाघर और निहारिका क्षेत्र से इमलीडुग्गू चौक (गौमाता चौक) की ओर जाने वाले अधिकांश वाहन चालक अब ट्रांसपोर्ट नगर से सुनालिया चौक होते हुए निकलते हैं। नतीजा यह है कि सुनालिया पुल पर दिनभर जाम की स्थिति बनी रहती है।
शहर में लागू नो-एंट्री सिस्टम के चलते अब सुबह से रात तक मुड़ापार बायपास पर भारी वाहनों की आवाजाही सीमित हो चुकी है। बावजूद इसके, राहगीर धूल भरे माहौल के कारण बायपास मार्ग से बचना ही बेहतर समझते हैं, जबकि इस रास्ते से यात्रा करने पर करीब 2 किलोमीटर की दूरी कम पड़ती है।
डस्ट की समस्या का असर रेलवे स्टेशन की सेकंड एंट्री पर भी देखने को मिल रहा है। यहाँ टिकट घर और पार्किंग की सुविधा शुरू होने के बाद भी यात्रियों की संख्या में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है।
प्रशासन और पुलिस की ओर से अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है, ताकि मुड़ापार बायपास की सफाई या डस्ट नियंत्रण के उपाय किए जा सकें।
यदि बायपास का उपयोग बढ़े, तो सुनालिया पुल और संजय नगर फाटक पर यातायात का दबाव काफी हद तक कम हो सकता है।
सर्वमंगला चौक से उरगा व बलौदा की ओर जाने वाले सर्वमंगला नहर बायपास के शुरू होने के बाद शहर से गुजरने वाले भारी वाहनों का दबाव भले घटा हो, लेकिन मानिकपुर खदान से रेलवे साइडिंग तक कोयला परिवहन के चलते मुड़ापार बायपास को अब केवल साइडिंग मार्ग के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
साइडिंग तक पहुंचने के लिए अलग से सड़क नहीं बनाई जाने के कारण बायपास सिर्फ कोल ट्रांसपोर्ट का रास्ता बनकर रह गया है।



