छत्तीसगढ़

बिलासपुर में 19 साल पुराना फर्जीवाड़ा उजागर, दस्तावेज़ सत्यापन में खुली पोल

बिलासपुर। सरकारी नौकरी के दस्तावेज सत्यापन के दौरान 19 साल पुराना एक बड़ा शैक्षणिक फर्जीवाड़ा सामने आया है। शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला सरकंडा में वर्ष 2006 में कक्षा आठवीं की परीक्षा में फेल हुए छात्र की मार्कशीट मे  व्हाइटनर लगाकर पास दिखा दिया गया था। स्कूल के आंतरिक रिकॉर्ड में भी उसी आधार पर हेरफेर किया गया था, ताकि मामला कभी उजागर न हो सके।

फेल छात्र को ‘पास’ दिखाने के लिए बदले गए अंक

 

जानकारी के अनुसार, वर्ष 2006 में छात्र रवि कुमार यादव कक्षा आठवीं की परीक्षा में दो विषयों में फेल हो गया था। इसके बावजूद स्कूल प्रबंधन की मिलीभगत से उसकी अंकसूची में मूल अंकों को सफेदा (व्हाइटनर) से मिटाकर नए अंक लिख दिए गए। फर्जी पास मार्कशीट तैयार कर उसे कक्षा नवमी में प्रवेश दे दिया गया। इतना ही नहीं, स्कूल ने अपने आंतरिक रिकॉर्ड में भी फर्जी मार्कशीट के अनुसार नए अंक दर्ज कर दिए थे, ताकि मूल सच कभी सामने न आ सके।

दस्तावेज सत्यापन में हुआ खुलासा

 

करीब 19 साल बाद जब रवि कुमार यादव की सरकारी नौकरी लगी और दस्तावेज सत्यापन के लिए डीईओ कार्यालय में प्रक्रिया शुरू हुई, तब इस गड़बड़ी का खुलासा हुआ। डीईओ कार्यालय के पास मौजूद मूल रिकॉर्ड में साफ दिखाई दिया कि छात्र दो विषयों में फेल था और वह पूरक परीक्षा में भी शामिल नहीं हुआ था। रिकॉर्ड की तुलना में पता चला कि स्कूल द्वारा प्रस्तुत की गई मार्कशीट के अंक मूल दस्तावेजों से मेल नहीं खाते।

स्कूल के रिकॉर्ड में भी मिली हेराफेरी

 

डीईओ कार्यालय ने जब सरकंडा स्कूल से संबंधित दस्तावेज मंगाए, तो यह भी सामने आया कि स्कूल के रिकॉर्ड में भी गलत ढंग से अंक बदले गए थे। स्कूल स्टाफ ने फर्जी मार्कशीट के अनुसार आंतरिक रजिस्टर में भी फेल अंकों को पास में बदल दिया था।

शिक्षा अधिकारी ने बताया गंभीर कदाचार

 

बिलासपुर जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) विजय टांडे ने मामले को शिक्षा व्यवस्था के साथ गंभीर छेड़छाड़ बताया। उन्होंने कहा—
“मूल रिकॉर्ड में छात्र फेल था, लेकिन उसे व्हाइटनर लगाकर पास कर दिया गया। यह स्कूल स्टाफ की मिलीभगत से किया गया गंभीर अपराध है। तत्कालीन प्राचार्य और शिक्षकों को नोटिस जारी कर जांच शुरू की गई है। दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।”

कड़ी कार्रवाई की तैयारी

 

डीईओ कार्यालय इस मामले को शिक्षा व्यवस्था में भ्रष्टाचार का स्पष्ट उदाहरण मान रहा है। जांच पूरी होने के बाद जिम्मेदार शिक्षकों और तत्कालीन प्राचार्य पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई किए जाने की तैयारी है। अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं मेहनत करने वाले छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करती हैं, इसलिए किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।

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