छात्र की रहस्यमई मौत से दहला जीजीयू कैंपस, तालाब में मिली लाश की हुई शिनाख्त

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के एकमात्र केंद्रीय विश्वविद्यालय गुरु घासीदास यूनिवर्सिटी बिलासपुर से एक चौंकाने वाली और दर्दनाक खबर सामने आई है। चार दिन पहले विश्वविद्यालय परिसर के अंदर बने तालाब से मिले अज्ञात युवक के शव की आखिरकार पहचान हो गई है।
यह शव यूनिवर्सिटी से लापता हुए छात्र अर्सलान अंसारी का है। अर्सलान पिछले कुछ दिनों से गायब था और अब उसकी मौत की खबर ने पूरे कैंपस को झकझोर दिया है।
गुरुवार को यूनिवर्सिटी परिसर के तालाब में एक युवक का शव तैरता हुआ मिला था। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए मॉर्च्युरी में सुरक्षित रखा था। आज पोस्टमार्टम के बाद शव को परिजनों के हवाले कर दिया गया है।
मृतक के भाई अयूब अंसारी ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि जब वह बिलासपुर पहुंचे, तो उन्हें केवल फोटो दिखाया गया। लेकिन भाई का शव नहीं दिखाया गया, जिससे वे पहचान की पुष्टि नहीं कर सके।
अयूब का आरोप है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने उन्हें जबरदस्ती एक कमरे में बंद रखा और बाहरी लोगों या मीडिया से मिलने नहीं दिया गया।
परिजनों का आरोप है कि कोनी पुलिस थाने ने भी एफआईआर दर्ज करने से मना कर दिया। उनका कहना है कि उन्होंने कई बार कार्रवाई की मांग की, लेकिन अब तक मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया।
वहीं, यूनिवर्सिटी के छात्रों में गुस्सा साफ दिखाई दे रहा है। छात्रों ने कहा कि यह यूनिवर्सिटी प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है।
तीन दिन तक छात्र गायब रहा, लेकिन प्रशासन को इसकी खबर तक नहीं लगी
।शव मिलने के बाद ही विश्वविद्यालय ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।जब मीडिया ने इस मामले में यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों और अधिकारियों से बात करने की कोशिश की,तो अधिकांश ने कोई जवाब नहीं दिया और मीडिया से बचते नज़र आए।
अब सवाल यह उठता है कि प्रदेश के एकमात्र केंद्रीयविश्वविद्यालय में सुरक्षा व्यवस्था कितनी कमजोर है कि एक छात्र लापता हो गया और प्रशासन को खबर तक नहीं हुई।इस घटना ने विश्वविद्यालय की व्यवस्था और जिम्मेदारी दोनों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि प्रशासन की लापरवाही की कहानी है।अब देखना यह होगा कि पुलिस इस मामले में निष्पक्ष जांच करती है या फिर यह मामला भी बाकी मामलों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।
गुरूघासीदास यूनिवर्सिटी का यह मामला अब सिर्फ एक मौत नहीं, बल्कि एक चेतावनी है कि जब संस्थान सुरक्षा में चूक करते हैं, तो सबसे बड़ी कीमत किसी मासूम की जिंदगी चुकाती है।



