छत्तीसगढ़

हाथियों का कहर: 4 जिलों में 4 मौतें

कोरिया, कोरबा, रायगढ़ और गरियाबंद में दहशत, कई गांवों में भय का माहौल

 

रायपुर । छत्तीसगढ़ के कई जिलों में हाथियों का आतंक लगातार बढ़ रहा है। गुरुवार रात से शुक्रवार सुबह तक अलग-अलग चार जिलों में हाथियों ने चार लोगों को कुचलकर मार डाला। कोरिया, कोरबा, रायगढ़ और गरियाबंद में हुई इन घटनाओं से ग्रामीणों में दहशत है और वन विभाग की टीमें प्रभावित गांवों में कैंप कर रही हैं।

कोरिया: झोपड़ी तोड़कर बुजुर्ग को दौड़ाया, फिर कुचल दिया

कोरिया जिले के बैकुंठपुर वन परिक्षेत्र में 11 हाथियों का दल गुरुवार रात गांव में घुस आया। उन्होंने झोपड़ी को तोड़ दिया जिसमें एक बुजुर्ग रह रहा था। बुजुर्ग भागने की कोशिश कर रहा था तभी हाथियों ने उसे दौड़ाकर कुचल दिया। मौके पर उसकी मौत हो गई। गांव में पूरी रात अफरा-तफरी का माहौल रहा।

कोरबा: भीड़ ने पत्थर फेंके, गुस्साए हाथी ने मानसिक रूप से बीमार युवक को मारा
कोरबा जिले के करतला वन परिक्षेत्र में हाथियों के झुंड पर ग्रामीणों द्वारा पत्थर फेंकते हुए एक वीडियो सामने आया है। इसमें लोग हाथियों को दूर भगाने की कोशिश कर रहे थे। इसी दौरान गुस्साए हाथी ने एक मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति को पकड़कर कुचल दिया। हादसे के बाद गांव में बढ़ी भारी दहशत।

रायगढ़: पति-पत्नी पर हमला, महिला की मौत
रायगढ़ जिले के बाकारूमा रेंज में खेत के पास झोपड़ी में सो रहे एक दंपति पर हाथियों ने हमला कर दिया। महिला की मौके पर ही मौत हो गई। पति किसी तरह नदी के बीच पत्थर के पीछे छिपकर जान बचाने में सफल रहा। ग्रामीणों का कहना है कि हाथियों का यह झुंड पिछले 48 घंटे से इलाके में घूम रहा है।

गरियाबंद: रात में बाहर निकले ग्रामीण को बीमार हाथी ने कुचला

गरियाबंद में आधी रात एक बीमार हाथी गांव के पास छिपा हुआ था। झोपड़ी गिरने की आवाज सुनकर टॉयलेट के लिए बाहर निकले ग्रामीण पर हाथी ने अचानक हमला कर दिया। उसने व्यक्ति को पकड़कर जमीन पर पटका और कुचल दिया। उसकी मौके पर मौत हो गई।

ग्रामीणों में दहशत, वन विभाग अलर्ट 
लगातार हमलों के बाद चारों जिलों में वन विभाग की टीमें सक्रिय हैं। ग्रामीणों को रात के समय बाहर न निकलने की सलाह दी गई है। कई गांवों में हाथियों की निगरानी के लिए ड्रोन और पेट्रोलिंग दल तैनात किए गए हैं।

हाथियों की बढ़ती गतिविधियों ने फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए क्या मौजूदा व्यवस्था पर्याप्त है। फिलहाल कई इलाकों में लोग भय के साए में रात गुजारने को मजबूर हैं।

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