गौठान मे आधा दर्जन गौ माताओं की भूख प्यास से मौत

बिलासपुर। हिंदू धर्म में गौ माता को देवी समान माना जाता है। कहा जाता है उनके शरीर में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास है। लेकिन बिलासपुर का मोपका गौठान इस आस्था पर सवाल खड़े कर रहा है। यहां न गाय सुरक्षित है, न इंसानियत।
भूख- प्यास और लापरवाही से गई गौ माता की जान
मोपका गौठान में बीते दिन दिल दहला देने वाला मंजर सामने आया। आधा दर्जन गायों की मौत हो गई। भूख, प्यास और लापरवाही ने इन पवित्र जीवों की जान ले ली। शवों को आनन-फानन में ऑटो बुलवाकर हटाया गया। लेकिन शेड के अंदर एक मवेशी घंटों तक तड़पता रहा और कोई देखने वाला नहीं।यही नहीं, शहरी गोठान में गाय छुड़ाने पहुंचे पशु मालिकों के सामने नया खेल चल रहा है।
भ्रष्टाचार और उगाही का खेल 150 रूपए रोजाना खर्च
एक युवक ने बताया कि वह पहले ही 800 रुपये दे चुका था, फिर भी स्टाफ और पैसे मांग रहा है। कहा जा रहा है एक दिन का चार्ज 150 रुपये है, वरना गाय नहीं मिलेगी। सबसे बड़ा सवाल – इस तरह की खुली उगाही की छूट आखिर किसने दी? और गाय छुड़ाने वाले मालिकों को रसीद क्यों नहीं दी जा रही?
प्रशासन पर उठे सवाल
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सिस्टम गौ माता की सेवा नहीं बल्कि लूट की दुकान बन चुका है। भूख, प्यास और भ्रष्टाचार – सब कुछ एक साथ मोपका गौठान का यह सच न सिर्फ प्रशासन की पोल खोलता है बल्कि इंसानियत पर भी सवाल खड़ा करता है। अब देखना है कि जिम्मेदार कब जागते हैं और आस्था के प्रतीक गौ माता को उनका हक कब दिलाते हैं।