छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: ईडी ने आईएएस अधिकारी निरंजन दास को किया गिरफ्तार

नई दिल्ली/रायपुर । प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में आईएएस अधिकारी निरंजन दास को गिरफ्तार किया है। ईडी के अनुसार, दास ने करीब 18 करोड़ रुपये की अपराध से प्राप्त आय अर्जित की और इस रैकेट को सुगम बनाने में “केंद्रीय भूमिका” निभाई। उन्हें 19 दिसंबर को ईडी के रायपुर जोनल कार्यालय द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत गिरफ्तार किया गया।

ईडी ने बताया कि धन शोधन की जांच राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और आर्थिक अपराध शाखा (एसीबी/ईओडब्ल्यू) द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी के आधार पर शुरू की गई थी। यह प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज की गई थी। जांच में सामने आया है कि कथित घोटाले से राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ और इससे 2,500 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध आय उत्पन्न हुई।

एजेंसी का दावा है कि डिजिटल रिकॉर्ड, जब्त दस्तावेजों और बयानों से यह स्पष्ट होता है कि निरंजन दास शराब सिंडिकेट के सक्रिय सहभागी थे। ईडी के अनुसार, उन्हें अतिरिक्त प्रभार के रूप में आबकारी आयुक्त और आबकारी विभाग का सचिव बनाया गया था, ताकि कथित घोटाले को सुगम बनाया जा सके।

ईडी का आरोप है कि आबकारी आयुक्त के रूप में दास ने अपने वैधानिक कर्तव्यों की अनदेखी की, सरकारी राजस्व की लूट को बढ़ावा दिया और 50 लाख रुपये मासिक भुगतान के बदले सिंडिकेट को बिना रोकटोक संचालन की अनुमति दी। एजेंसी का यह भी कहना है कि दास ने अपने क्षेत्र में अवैध और बिना हिसाब की शराब बिक्री बढ़ाने के निर्देश दिए।

इस मामले में ईडी अब तक कई अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार कर चुकी है। इनमें पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टूटेजा, अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लों, अनवर ढेबर, भारतीय दूरसंचार सेवा अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी, पूर्व छत्तीसगढ़ आबकारी मंत्री एवं विधायक कवासी लकमा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल और सौम्या चौरसिया शामिल हैं।

इसी बीच, एसीबी/ईओडब्ल्यू ने अपनी नवीनतम अनुपूरक आरोपपत्र में दावा किया है कि चैतन्य बघेल ने कथित घोटाले से 200 से 250 करोड़ रुपये की राशि अपने हिस्से के रूप में प्राप्त की। एजेंसी के अनुसार, करीब 3,800 पृष्ठों के आरोपपत्र में उन्हें 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के मामले में आरोपी बनाया गया है और इसमें सिंडिकेट के अधिकारियों व कर्मचारियों के समन्वय में उनकी कथित भूमिका का उल्लेख है।

जांच एजेंसियों का आरोप है कि अपराध से प्राप्त धन को शराब कारोबारी त्रिलोक सिंह ढिल्लों से जुड़ी फर्मों के माध्यम से भेजा गया और रियल एस्टेट परियोजनाओं में निवेश किया गया। एजेंसियों का अनुमान है कि कुल अवैध आय 3,500 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है। ईडी के अनुसार, वर्ष 2019 से 2022 के बीच, कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में, राज्य में बेची गई हर शराब की बोतल से अवैध वसूली की गई। एसीबी/ईओडब्ल्यू ने इस मामले में जनवरी 2024 में प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसमें 70 व्यक्तियों और कंपनियों को आरोपी बनाया गया है।

 

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